तेरे बिना में ये दुनिया छोड तो दूं ,
पर उसका दिल कैसे दुखा दुं ,
जो रोज दरवाजे पर खडी केहती हे ;
“बेटा घर जल्दी आ जाना “
कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे
तुम्हारे सिवा,
एक मौत ही है जिसका मैं
वादा नही करता…….. ।।
पी है शराब हर गली की दुकान से,
दोस्ती सी हो गयी है शराब की जाम से ;
गुज़रे है हम कुछ ऐसे मुकाम से,
की आँखें भर आती है मोहब्बत के नाम से..!
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी
और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ..!!
उसे किस्मत समझ कर सीने से
लगाया था,
भूल गए थे के किस्मत बदलते देर
नहीं लगती…!!
नींद तो बचपन में आती थी,
अब तो बस थक कर सो जाते है ।
वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं,
ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैंये कुछ नही बस वक़्त का तक़ाज़ा है दोस्तो,
कभी हम तो कभी आप बदल जाते हैं.
तू रूठा रूठा सा लगता है
कोई तरकीब बता मनाने की ,
मैं ज़िन्दगी गिरवी रख दूंगा ;
तू क़ीमत बता मुस्कुराने की..।
लगता है माँ-बाप ने बचपन में खिलौने
नही दिलाये होंगे……
.
.
तभी तो बड़ी होके पगली हमारे दिल
से खेल गयी……!!
आज़मा ले मुझको थोडा और, ए खुदा…तेरा “बंदा” बस बिखरा हैं अब तक, टूटा नही..!!
No comments:
Post a Comment